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दोपहर 3.20 बजे एक मिनट में भूकंप के दो हल्के झटके

पाली से 52 किमी दूर जोधपुर का रणसी गांव था भूकंप का केंद्र, इसलिए रोहट से अजमेर की तरफ महसूस हुए झटके

जिलेमें शनिवार दोपहर को 3.21 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। यह 2 से लेकर 3 सैकंड तक महसूस किए गए। हालांकि भूकंप से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लोग दहशत में गए। जानकारी के अनुसार भूकंप का केंद्र जोधपुर जिले के पास बोरूंदा के निकट रणसी गांव के पास दधिमती माता मंदिर के 10 किलोमीटर नीचे था। यह पाली से 52 किमी दूर है। शनिवार को सुबह भारत के पूर्वी छोर पर चीन-बॉर्डर के नज़दीक 6.4 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था, जिसके लगभग 11 घंटे बाद ही पश्चिमी छोर के नज़दीक ही ज़मीन के 10 किमी नीचे सिस्मिक एक्टिविटी हुई है। इसके बाद जिले में भूकंप आया है।

सोजत में लोग घरों से बाहर निकले

शहरमें शनिवार को दोपहर 5 से 6 सैकंड तक हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस दौरान कई लोग दौड़ कर अपनी-अपनी दुकानों घरों से बाहर गए। हालांकि 5-6 सैकंड के बाद बिल्कुल स्थिति सामान्य हो गई। भूकंप के झटकों से लोगों में भय व्याप्त हो गया।

निंबोल.कस्बेसहित आसपास के गांवों में शनिवार को 3.21 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। लोग घरों से बाहर गए।

क्षेत्र निंबोल, सिणला, डूंगर नगर, डिगरना, खराडी, लितरिया में भूकंप के झटके आए। निंबोल राजकीय आदर्श उच्च माध्यामिक विद्यालय के विद्यार्थी भूकंप आने पर कमरों से बाहर निकल गए।

तरंगें जब रेत से गुजरती हैं तो यह कुचालक बनती हैं। बड़े धोरे रेगिस्तान तरंगें अवशोषित करते हैं। यह 5 रियक्टर स्केल तक ही कारगर।

सॉलिड मीडियम चट्‌टानें भूकंप की तरंगों के लिए सुचालक हैं। इसमें तीव्रता उसी तेजी से आगे बढ़ जाती है।

भूकंप का चिन्हित केंद्र लेटीट्यूड: 26.4 डिग्री नॉर्थ लोंगीट्यूड : 73.8 डिग्री ईस्ट रहा। जो जोधपुर शहर से करीब 60 किमी दूर बोरुंदा के आसपास रहा। पाली में झटके महसूस होने के बाद कई जगह लोग घरों दुकानों से बाहर निकाल आए। सोजत, जैतारण, बर, सेंदड़ा, निमाज, कंटालिया सहित जिले के सभी गांवों में भी झटके महसूस किए गए। कई जगह तेज आवाज के साथ जमीन में दक्षिण से पूर्वी दिशा की ओर कंपन्न हुआ। कई मकानों सरकारी भवनों में दरारें गई। जोधपुर में भूकंप का असर इसलिए कम रहा क्योंकि इस क्षेत्र में जमीन में पथरीली के साथ डेजर्ट भी है, इसी वजह से भूकंप की वेव ज्यादा नुकसान नहीं कर पाती।

सालभर पहले ही चेता दिया था सरकार को, गंभीरता दिखाई होती तो विवाद नहीं बढ़ता

निर्मातासंजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां प्रदेश भर में इसे लेकर रैलियां और प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं पाली के राजपूत समाज में भी इसे लेकर विरोध मुखर हो रहा है। शनिवार को भास्कर कार्यालय में आयोजित टॉक शो में राजपूत समाज के युवाओं ने पद्मावती फिल्म के प्रदर्शन को रोकने की मांग उठाते हुए फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर कड़े शब्दों में निंदा की। समाज के लोगों का कहना था कि केवल स्वयं के आर्थिक फायदे के लिए बहुत बड़े वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाना ठीक नहीं है। इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके कल कोई रावण और सीता के बारे में भी फिल्म बना देगा, ऐसा कतई बर्दाश्त नहीं होगा। अपनी बात रखते हुए राजपूत समाज ने सरकार से इस पर बैन लगाने का निर्णय करने का आग्रह किया।

सस्ती लोकप्रियता के लिए भावनाओं से खिलवाड़ नहीं

^सस्तीलोकप्रियता के लिए मनोरंजन के नाम पर कुछ भी पेश करना सिर्फ पेशेवर अंदाज है। पाठ्य पुस्तकों इतिहास में दर्शाए जीवन मूल्यों को मनोरंजन के अंदाज में पेश ही नहीं किया जाना चाहिए।

सांस्कृतिक परंपरा नहीं बने मनोरंजन का माध्यम

^संस्कृतिको जीवित रखने के हरसंभव प्रयास होने चाहिए। जौहर भी तत्कालीन सांस्कृतिक परंपरा रही है। इसे सही अर्थों में ही दर्शा जाए। मनोरंजन का माध्यम बनाना असहनीय है।
प्रेरणा स्रोतों के साथ ऐसा नहीं हो

^फिल्मके प्रदर्शन के समय यह दिखा देना कि दिखाए जा रहे पात्र काल्पनिक है और फिल्म के इतिहास से जुड़े पात्रों काे तोड़ मरोड़कर दिखाया जाए, ये सर्वथा अनुचित है। प्रेरणा स्रोतों के साथ ऐसा नहीं हो।
प्रामाणिकता के लिए प्री सेंसर बोर्ड हो

^फिल्मके लिए सेंसर बोर्ड से भी पहले प्री सेंसर बोर्ड होना चाहिए जो कि पटकथा को ही प्रामाणिकता का सर्टिफिकेट दे। जब परीक्षाओं में विभिन्न चरण होते हैं तो इतने बड़े माध्यम के लिए भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
श्रद्धा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

^पद्मावतीहमारे जीवन मूल्यों की आदर्श है। वे हमारी प्रेरणा स्रोत है। उनके जीवन का फिल्मांकन यदि श्रद्धा से हटकर किया जाएगा तो सहन नहीं किया जाएगा। इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई जरूरी है।

^फिल्मेंसमाज का आइना होती है इसलिए इसमें वर्णित तथ्यों को स्पष्टता के साथ दर्शाना चाहिए। इतिहास में तोड़फोड़ की बजाय तथ्यों की यथास्थिति वास्तविक प्रस्तुति होनी चाहिए।
यूथ को गलत संदेश देगी इतिहास की गलत प्रस्तुति

^फिल्मप्रचार प्रसार ज्ञान का सशक्त माध्यम है। शिक्षा आज ब्लैक बोर्ड और बैग से हटकर टेबलेट और लैपटाप तक पहुंच गई है। ऐसे में सिनेमा की भूमिका बढ़ जाती है। इतिहास की गलत प्रस्तुति यूथ को गलत संदेश देगी।

^सिनेमाके माध्यम से दीमक का काम कर रही फिल्मों पर नियंत्रण नैतिक जिम्मेदारी है। जनहित के लिए स्वाभिमान तक दांव पर लगाने वाले विषय को सही तौर पर दिखाया जाए।
गलत फिल्मांकन इतिहास के आदर्शों से खिलवाड़

^पद्मावतीने मान सम्मान स्वाभिमान के लिए जौहर किया था। इस विराट व्यक्तित्व के जीवन को सपने के दर्शन के नाम पर गलत फिल्मांकन इतिहास के आदर्शों से खिलवाड़ है। सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
इतिहासकारों को प्राथमिकता मिले

^भारतीयफिल्मों के लेखक के स्रोत पारंपरिक ही रखे जाए। विदेशी लेखकों काे महत्व देने की बजाय इतिहास जैसे विषय को गंभीर शोध के साथ तथ्य पेश किए जाए। इसके लिए युवाओं की जागरूकता भी जरूरी है।
कल्पना के रूप में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं

^राजपुतानाका इतिहास समृद्ध और संपन्न रहा है। फिल्मों के माध्यम से भी कल्पना के रूप में इसके तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए। इसका पुरजोर विरोध जरूरी है।
फिल्म स्क्रिप्ट की प्रामाणिकता के लिए समिति बने

^राज्यमें इतिहासकारों की एक समिति बनाई जाए जो कि टीवी और फिल्मों के लिए चयनित स्क्रिप्ट की प्रामाणिकता के लिए तथ्य जुटाए। समय रहते ये कदम उठाना जरूरी है।

दो बाइक की टक्कर, पार्षद घायल

सोजत-आलावासमार्ग पर शुक्रवार दोपहर दो बाइक की टक्कर में सोजत नगर पालिका के पार्षद वाजिद खां सहित दो जने घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए हायर सेंटर पर रेफर कर दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोजत-आलावास मार्ग पर दोपहर में पार्षद वाजिद खां की सामने से बाइक पर रहे आलावास निवासी वीरेंद्र पुत्र चम्पालाल से टक्कर हो गई। हादसे में दोनों बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें लोगों द्वारा सोजत अस्पताल पहुंचाया गया। यहां से उन्हें हायर सेंटर पर रेफर किया गया। सूचना मिलने पर पालिकाध्यक्ष मांगीलाल चौहान सहित कई लोग उनके हालचाल पूछने अस्पताल पहुंचे।

सोजत | राज्यसरकार की साइकिल वितरण योजना के तहत कल शुक्रवार एवं आज शहर के उच्च माध्यमिक विद्यालय में समारोहपूर्वक कक्षा…

सोजत | राज्यसरकार की साइकिल वितरण योजना के तहत कल शुक्रवार एव आज शहर के उच्च माध्यमिक विद्यालय में समारोहपूर्वक कक्षा 9वीं की छात्राओं को निशुल्क साइकिल वितरित की गई। इस मौके विधायक आगरी ने बालिकाओं को खूब मन लगा कर पढ़ने राज्य सरकार की आेर से चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने की बात कहीं। इस मौके पालिकाध्यक्ष मांगीलाल चौहान, प्रधानाचार्य भारतसिंह लखावत, अर्चना गुप्ता, राज गुप्ता, चंद्रकांता सोनी, राजेश अग्रवाल, डॉ. तैयब अली आदि उपस्थित थे।

पद्मावती पर असमंजस: 12 जनवरी को रिलीज की खबर को मेकर्स ने बताया अफवाह

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती की प्रस्तावित रिलीज डेट को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि फिल्म 12 जनवरी के दिन रिलीज होगी. इसे 1 दिसंबर को रिलीज किया जाना था. हालांकि पद्मावती के मेकर्स ने डेट आगे बढ़ने की बात से इनकार किया है.

पद्मावती के निर्माताओं में से एक Viacom18 के सीओओ अजीत अंधारे ने पद्मावती की रिलीज टेड आगे खिसकने की खबरों को आधारहीन कहा.

वैसे फिल्म के निर्माताओं की ओर से सेंसर बोर्ड को जो डॉक्युमेंट भेजे गए थे उसमें कई तरह की खामियां हैं. मेकर्स की ओर से पहले 1 दिसंबर को देशभर में फिल्म की रिलीज प्रस्तावित है. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि मेकर्स की ओर से आज (17 नवंबर) सेंसर बोर्ड को कॉपी सौंपी गई है.

इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया, ‘पद्मावती मेकर्स की ओर से सेंसर को जो ओरिजिनल डॉक्युमेंट भेजे गए हैं वो अधूरे हैं. फिल्म की शुरुआत में भी अपेक्षित डिस्क्लेमर नहीं है. डॉक्यूमेंटेशन में कमी की वजह से फिल्म के प्रमाणन में देरी हो रही है.’

फिल्म के टलने की ये हो सकती हैं 2 बड़ी वजहें

#1. क्या है सेंसर बोर्ड का नियम : दरअसल, नियमों के मुताबिक किसी फिल्म को सर्टिफिकेशन के लिए रिलीज से 15 दिन पहले सेंसर के पास भेजना होता है. फिल्म की पहली कॉपी का काम पूरा नहीं हुआ था. इस वजह से इसे सेंसर के पास नहीं भेजा गया था. फिल्म 17 नवंबर को ही सेंसर के पास भेजी गई है. प्रस्तावित तारीख 1 दिसंबर पर रिलीज के लिए बोर्ड के पास फिल्म भेजने की तारीख ख़त्म हो चुकी है.सेंसर ने नियम का पालन किया तो 1 दिसंबर को फिल्म की रिलीज पर संकट है.

#2. फिल्म पर जारी विवाद : हालांकि यह साफ नहीं है लेकिन फिल्म पर जारी विवाद भी रिलीज डेट की टलने की एक वजह बन सकते हैं. फिल्म पर करणी सेना और कांग्रेस-बीजेपी जैसे राजनीतिक दलों ने आपत्ति जाहिर की है. गुजरात में विधानसभा चुनाव और यूपी में निकाय चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने इसे टालने की मांग की गई थी. बीजेपी ने निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर डेट बढ़ाने की मांग की थी. सेंसर का मामला बताते हुए आयोग ने इसे अस्वीकार कर दिया था.

रिलीज डेट खिसकी तो आगे क्या ?

#1. फिल्म को लेकर जारी गतिरोध कुछ दिनों के लिए कम होगा. अगर फिल्म गुजरात और यूपी के निकाय चुनाव के बाद रिलीज होती हैं तो संभवत: राजनीतिक दलों के विरोध का सामना न करना पड़े.

#2. करणी सेना और दूसरे राजपूत संगठनों के नेतृत्व में जारी आंदोलन कमजोर पड़ेगा. चूंकि फिल्म की रिलीज तारीख टल रही है शायद जनवरी में में इसकी रिलीज शांति से हो सके.

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क्या सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है

उधर, उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने इंडिया टुडे से यह साफ़ किया कि पद्मावती को लेकर सीबीएफसी के कामकाज में सरकार की ओर से किसी तरह का दखल नहीं है. फिल्म के बार में कोई फैसला लेने के लिए सेंसर बोर्ड स्वतंत्र है. सेंसर की कार्यप्रणाली में सरकारी हस्तक्षेप नहीं है.

सेंसर चीफ ने नहीं देखी है फिल्म

सेंसर बोर्ड चीफ प्रसून जोशी ने इंडिया टुडे को बताया कि उन्होंने अभी तक पद्मावती नहीं देखी है. इस तरह की खबरें झूठ हैं, जिनमें एक प्राइवेट स्क्रीनिंग में फिल्म देखने की बात कही जा रही है. सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी के नजदीकी सूत्रों ने भी कहा, केंद्रीय मंत्री ने भी ऐसे किसी स्क्रीनिंग इवेंट में फिल्म नहीं देखी है. ऐसी चर्चाएं निराधार हैं.

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रिलीज से पहले करणी सेना को दिखाना चाहते हैं फिल्म

सेंसर बोर्ड सूत्रों ने यह भी बताया कि मेकर्स ने करणी सेना को रिलीज से पहले फिल्म दिखाने के लिए सेंसर बोर्ड से अनुमति मांगी है. इसके लिए सेंसर बोर्ड को पद्मावती के निर्माताओं की ओर से स्पेशल स्क्रीनिंग के किए चिट्ठी लिखी गई है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक़ पद्मावती में अभिनय करने वाले सितारों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है. पूरे देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन से उत्पन्न कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सरकार की नजर है.